रविवार, 17 अगस्त 2025

नर्स और पेशेंट की सेक्स कहानी – हॉस्पिटल में पहली मोहब्बत

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बारिश की एक ठंडी शाम थी। मैं ऑफिस से घर लौट रहा था कि अचानक बाइक फिसल गई और मैं ज़ोर से सड़क पर गिर पड़ा। लोगों ने मुझे उठाकर नज़दीकी हॉस्पिटल पहुँचा दिया।


हॉस्पिटल के कमरे में मेरी आँखें खुलीं तो सामने एक सफेद ड्रेस में खड़ी खूबसूरत नर्स दिखी। उसके बाल खुले थे और चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी। उसने धीरे से कहा – डरिए मत अब आप सुरक्षित हैं।

उसकी आवाज़ में ऐसा सुकून था कि दर्द भूल सा गया।

वो रोज़ मेरे पास आती, दवा देती और पूछती 

आज दर्द कैसा है मुझे लगता जैसे उसकी हर बात मेरे दिल पर मरहम लगा रही हो।


कुछ ही दिनों में हमारी बातें लंबी होने लगीं। कभी वो अपने नर्सिंग कॉलेज की बातें करती, कभी अपने सपनों का ज़िक्र। उसकी आँखों में एक अजीब-सा खिंचाव था, जिसे मैं नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहा था।


एक रात, जब वार्ड में सब सो चुके थे, नाइट ड्यूटी पर वही नर्स थी। कमरे में सिर्फ हल्की-सी नीली रोशनी जल रही थी।

वो मेरे पास आई और कुर्सी पर बैठ गई। कुछ देर तक चुपचाप मुझे देखती रही।


फिर धीरे से बोली 

पता है मुझे तुम पहले दिन से ही अलग लगे। शायद इसलिए तुम्हारी देखभाल करते-करते दिल भी तुम्हारे लिए धड़कने लगा।


उसकी ये बातें सुनकर मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। कमरे में सन्नाटा था, सिर्फ हमारी साँसें सुनाई दे रही थीं।


वो धीरे-धीरे मेरी तरफ झुकी। मैं भी उसकी आँखों में खो गया।

उसने मेरे हाथ को थामा और फुसफुसाई शायद मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए पर दिल रोक नहीं पा रहा।

और अगले ही पल उसके होंठ मेरे होंठों से छू गए।

वो छोटा सा किस धीरे-धीरे एक गहरी चाहत में बदल गया। लगभग दस मिनट तक हम एक-दूसरे की सांसों में खोए रहे। उस पल ऐसा लगा मानो वक्त रुक गया हो।


किस खत्म होने पर उसने मेरी आँखों में झांकते हुए कहा I love you...

मैंने भी मुस्कराकर कहदीय love you 2...


उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ा और बोली 

दो दिन बाद तुम्हें डिस्चार्ज मिल जाएगा मैं यहीं पास के फ्लैट में रहती हूँ। घर जाने से पहले मेरे साथ वहीं चलना, मुझे तुम्हें कुछ खास दिखाना है। दो दिन बाद जब मैं उसके घर पहुँचा, तो उसने अलमारी से एक डायरी निकाली। उसमें हमारे मिलने के पहले दिन से लेकर, प्यार का इज़हार और वो पहली रात की सारी बातें लिखी हुई थीं। उसकी हर लिखी लाइन में उसकी मोहब्बत साफ झलक रही थी।


वो दरवाज़े तक मुझे छोड़ने आई, लेकिन अचानक धीरे से बोली 

रात बहुत हो चुकी है क्यों न तुम यहीं रुक जाओ? सुबह आराम से चले जाना।


उसकी आवाज़ में एक अजीब-सा अपनापन था। मैं कुछ पल के लिए रुका और फिर सिर हिला दिया ठीक है


हम दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। उसकी हंसी, उसकी बातें सब कुछ मुझे और पास खींच रहा था।

खाना खत्म होने के बाद उसने प्लेटें समेटीं और बोली 

कमरे में चलो, मैने देखा यहाँ बस एक ही रूम है।

कमरे की हल्की रोशनी और बाहर से आती ठंडी हवा माहौल को और भी सुकूनभरा बना रही थी।

वो धीरे से बिस्तर पर बैठी, बालों की एक लट कान के पीछे करती हुई मेरी ओर देखने लगी।


उसकी आँखों में वही चमक थी, जैसे कुछ कहना चाह रही हो पर शब्द नहीं मिल रहे हों।

मैं भी उसकी तरफ बढ़ा… और उस पल हमारे बीच की दूरी धीरे-धीरे मिटने लगी।

मैं बिस्तर पर बैठा ही था कि वो धीरे से मेरे पास आकर मेरे पैर पर सिर रखकर लेट गई।

हम दोनों देर रात तक बातें करते रहे। कभी हँसी, कभी चुप्पी पर उस चुप्पी में भी एक अजीब-सा रोमांस था।


उसकी आँखों में एक शरारत थी और मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं।

मेरी नज़र बार-बार उसके सीने पर चली जाती, और शायद उसने ये देख भी लिया। वो हल्के से मुस्कराई और बोली इतना देख क्यों रहे हो ये सब तुम्हारा ही तो है।


ये सुनकर जैसे मेरे भीतर की सारी रोक टूट गई।

उसने खुद मेरा हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख दिया।

उस पल का अहसास शब्दों से परे था जैसे हमारे बीच की सारी दीवारें गिर गई हों।


धीरे-धीरे उसने अपने ऊपर का कपड़े उतरे। हल्की रोशनी में उसके बूब्स ब्लैक ब्रा में और भी खूबसूरत लग रहे थे।

उसकी साँसों की गर्माहट, उसकी आँखों की चमक और उसके हाथों का स्पर्श सब मुझे और करीब खींच रहा था।


धीरे-धीरे बातें करते हुए माहौल इतना बदल गया कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने एक हाथ से लैंड निकाला और धीरे-धीरे सहलाने लगा। वो हल्के से मुस्कराई और बोली मैं कुछ नहीं करूँगी फिर

लेकिन उसकी आँखों में वही शरारत थी, जैसे मुझे और छेड़ना चाह रही हो।


मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लैंड पर रख दिया।

उसने थोड़ी देर तक मुझे देखा, फिर बिना कुछ कहे धीरे-धीरे लैंड हिलाने लगी।

उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरे जिस्म में बिजली सा दौड़ा रहा था।


मैं लेट गया और उसने पास आकर रफ़्तार तेज़ कर दी।

मेरी आँखों से इशारा समझकर वो झटके से झुकी और अगले ही पल मेरा लैंड मुमें ले लिया।

मैने बिना कुछ सोचे एकदम से अपनी दो उंगलियां उसकी चूत के अन्दर डाल दीं.

उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- आहह … आहह आहह.

मैने उसको को बेड पर लिटा दिया वो बिल्कुल नंगी बेड पर लेटी हुई थी और सेक्स के लिए तड़प रही थी 


अब म इसकी चूत के पास आया, उसकी टांगों को किस करने लगा, उसके चूतड़ों को दबाने लगा। 


अब तक मेरा लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया था. उसकी चूत भी लैंड लेने के लिए बिल्कुल तैयार थी।


वह बोली अब मुझे और मत तड़पाओ प्लीज़ मेरे साथ सेक्स करो ना!


अब में और वो मिशनरी पोजीशन में आ गए थे.


मैंने अपने लंड को चूत के ऊपर सैट कर दिया और धीरे धीरे अन्दर डालने लगा। लंड का ऊपरी सिरा चूत में चला गया. उसके के मुँह से ‘आह निकल गई।


तभी मैंने एक और जोरदार धक्का दे मारा जिससे उसका मेरा लंड चूत में समा गया। इससे उसको बहुत ज्यादा दर्द हुआ क्योंकि उसने बहुत लंबे समय से सेक्स नहीं किया था.


दर्द की वजह से उसके मुँह से चीख निकल गई आहह हहह मर गई माँ! उसकी आंखों में आंसू आ गए.


वह इतनी जोर से चीख उठी थी कि मैंने डर से लैंड बाहर निकल लिया फिर मैंने थोड़ी देर चूत पे लैंड रगड़ा तो।उसने वापस लैंड डालने का इशारा किया मैं समझ गया था कि दर्द के साथ इसको मजा भी आ रहा है। 

उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे और मुँह से चीखें निकल रही थीं 

आहह आह हहह मर गई माँ आहह हह साले कुत्ते धीरे चोद मुझे आज चोद-चोद कर ही मार डालेगा क्या

आहहहह माँ बचाओ मुझे इस कसाई से आह

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