रविवार, 24 अगस्त 2025

(PART 1) मकान मालकिन की भतीजी, "रिया"

 उस रात बारिश बहुत तेज़ हो रही थी। हवा में नमी और मौसम में एक अजीब सी खामोशी थी। मैं ऑफिस से देर रात लौटा था, पूरे दिन की थकान और सिर में हल्का दर्द लेकर। जैसे ही दरवाज़ा खोला, सामने वो खड़ी थी — मेरी मकान मालकिन की भतीजी, "रिया"।


उसकी आंखों में कुछ अलग ही चमक थी उस रात। हल्की भीगी हुई सलवार-कुर्ते में वो और भी हसीन लग रही थी।


"भैया, मम्मी बाहर गई हैं… और बाहर इतनी बारिश हो रही है… क्या मैं कुछ देर आपके यहाँ बैठ सकती हूँ?" उसने धीमी आवाज़ में कहा।


मैंने बिना कुछ सोचे "हाँ" कहा, लेकिन दिल की धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं।


रिया कमरे में आई और सोफे पर बैठ गई। मैंने उसे एक तौलिया दिया, उसके गीले बालों से पानी टपक रहा था। मैं किचन में गया और चाय बनाने लगा। चाय का प्याला लेकर जब मैं लौटा, तो वो मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे कुछ कहना चाहती हो।


"आप अकेले रहते हो न?" उसने पूछा।


मैंने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया। फिर वो थोड़ा पास खिसक आई… और हमारी बातें धीमे-धीमे एक अजीब सी गर्माहट में बदल गईं...


रिया चाय का घूंट भरते हुए मुझे देख रही थी। बारिश अब भी खिड़की के शीशों पर अपनी आवाज़ से माहौल को और भी गहरा बना रही थी।


"आपको अकेले रहते डर नहीं लगता?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ में शरारत थी।


"कभी-कभी लगता है… लेकिन अब तो तुम हो," मैंने जवाब दिया, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।


वो उठी और खिड़की के पास जाकर बारिश देखने लगी। उसके गीले बाल उसकी पीठ से लिपटे हुए थे और कमरे की हल्की रौशनी में उसका चेहरा और भी निखर रहा था।


मैं पास गया… और उसके बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया। उसने पलट कर मुझे देखा – हमारी आंखें कुछ सेकंड के लिए टकराईं, और फिर उसने नज़रें झुका लीं।


"तुम्हारे बाल अब भी भीगे हैं… बीमार पड़ जाओगी," मैंने कहा और तौलिया उसके कंधों पर रख दिया।


वो मुस्कराई, "आप ही तो कह रहे थे कि अब मैं हूँ… तो बीमार नहीं पड़ूँगी।"


उसके इन शब्दों में जो इशारा था, वो साफ था।


मैंने हल्के से उसके बालों को तौलिये से पोंछा। धीरे-धीरे उसके इतने पास आ गया कि उसकी सांसें मेरे सीने से टकराने लगीं। वो शांत खड़ी थी… लेकिन उसकी धड़कनों की रफ्तार तेज़ हो चुकी थी।


"रिया…" मैंने उसका नाम धीरे से पुकारा।


उसने मेरी तरफ देखा… उसकी आंखों में अब कोई झिझक नहीं थी।


मैंने उसके गाल को हल्के से छुआ… और फिर 

हमारा फासला खुद-ब-खुद मिटने लगा।


रविवार, 17 अगस्त 2025

नर्स और पेशेंट की सेक्स कहानी – हॉस्पिटल में पहली मोहब्बत

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बारिश की एक ठंडी शाम थी। मैं ऑफिस से घर लौट रहा था कि अचानक बाइक फिसल गई और मैं ज़ोर से सड़क पर गिर पड़ा। लोगों ने मुझे उठाकर नज़दीकी हॉस्पिटल पहुँचा दिया।


हॉस्पिटल के कमरे में मेरी आँखें खुलीं तो सामने एक सफेद ड्रेस में खड़ी खूबसूरत नर्स दिखी। उसके बाल खुले थे और चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी। उसने धीरे से कहा – डरिए मत अब आप सुरक्षित हैं।

उसकी आवाज़ में ऐसा सुकून था कि दर्द भूल सा गया।

वो रोज़ मेरे पास आती, दवा देती और पूछती 

आज दर्द कैसा है मुझे लगता जैसे उसकी हर बात मेरे दिल पर मरहम लगा रही हो।


कुछ ही दिनों में हमारी बातें लंबी होने लगीं। कभी वो अपने नर्सिंग कॉलेज की बातें करती, कभी अपने सपनों का ज़िक्र। उसकी आँखों में एक अजीब-सा खिंचाव था, जिसे मैं नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहा था।


एक रात, जब वार्ड में सब सो चुके थे, नाइट ड्यूटी पर वही नर्स थी। कमरे में सिर्फ हल्की-सी नीली रोशनी जल रही थी।

वो मेरे पास आई और कुर्सी पर बैठ गई। कुछ देर तक चुपचाप मुझे देखती रही।


फिर धीरे से बोली 

पता है मुझे तुम पहले दिन से ही अलग लगे। शायद इसलिए तुम्हारी देखभाल करते-करते दिल भी तुम्हारे लिए धड़कने लगा।


उसकी ये बातें सुनकर मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। कमरे में सन्नाटा था, सिर्फ हमारी साँसें सुनाई दे रही थीं।


वो धीरे-धीरे मेरी तरफ झुकी। मैं भी उसकी आँखों में खो गया।

उसने मेरे हाथ को थामा और फुसफुसाई शायद मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए पर दिल रोक नहीं पा रहा।

और अगले ही पल उसके होंठ मेरे होंठों से छू गए।

वो छोटा सा किस धीरे-धीरे एक गहरी चाहत में बदल गया। लगभग दस मिनट तक हम एक-दूसरे की सांसों में खोए रहे। उस पल ऐसा लगा मानो वक्त रुक गया हो।


किस खत्म होने पर उसने मेरी आँखों में झांकते हुए कहा I love you...

मैंने भी मुस्कराकर कहदीय love you 2...


उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ा और बोली 

दो दिन बाद तुम्हें डिस्चार्ज मिल जाएगा मैं यहीं पास के फ्लैट में रहती हूँ। घर जाने से पहले मेरे साथ वहीं चलना, मुझे तुम्हें कुछ खास दिखाना है। दो दिन बाद जब मैं उसके घर पहुँचा, तो उसने अलमारी से एक डायरी निकाली। उसमें हमारे मिलने के पहले दिन से लेकर, प्यार का इज़हार और वो पहली रात की सारी बातें लिखी हुई थीं। उसकी हर लिखी लाइन में उसकी मोहब्बत साफ झलक रही थी।


वो दरवाज़े तक मुझे छोड़ने आई, लेकिन अचानक धीरे से बोली 

रात बहुत हो चुकी है क्यों न तुम यहीं रुक जाओ? सुबह आराम से चले जाना।


उसकी आवाज़ में एक अजीब-सा अपनापन था। मैं कुछ पल के लिए रुका और फिर सिर हिला दिया ठीक है


हम दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। उसकी हंसी, उसकी बातें सब कुछ मुझे और पास खींच रहा था।

खाना खत्म होने के बाद उसने प्लेटें समेटीं और बोली 

कमरे में चलो, मैने देखा यहाँ बस एक ही रूम है।

कमरे की हल्की रोशनी और बाहर से आती ठंडी हवा माहौल को और भी सुकूनभरा बना रही थी।

वो धीरे से बिस्तर पर बैठी, बालों की एक लट कान के पीछे करती हुई मेरी ओर देखने लगी।


उसकी आँखों में वही चमक थी, जैसे कुछ कहना चाह रही हो पर शब्द नहीं मिल रहे हों।

मैं भी उसकी तरफ बढ़ा… और उस पल हमारे बीच की दूरी धीरे-धीरे मिटने लगी।

मैं बिस्तर पर बैठा ही था कि वो धीरे से मेरे पास आकर मेरे पैर पर सिर रखकर लेट गई।

हम दोनों देर रात तक बातें करते रहे। कभी हँसी, कभी चुप्पी पर उस चुप्पी में भी एक अजीब-सा रोमांस था।


उसकी आँखों में एक शरारत थी और मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं।

मेरी नज़र बार-बार उसके सीने पर चली जाती, और शायद उसने ये देख भी लिया। वो हल्के से मुस्कराई और बोली इतना देख क्यों रहे हो ये सब तुम्हारा ही तो है।


ये सुनकर जैसे मेरे भीतर की सारी रोक टूट गई।

उसने खुद मेरा हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख दिया।

उस पल का अहसास शब्दों से परे था जैसे हमारे बीच की सारी दीवारें गिर गई हों।


धीरे-धीरे उसने अपने ऊपर का कपड़े उतरे। हल्की रोशनी में उसके बूब्स ब्लैक ब्रा में और भी खूबसूरत लग रहे थे।

उसकी साँसों की गर्माहट, उसकी आँखों की चमक और उसके हाथों का स्पर्श सब मुझे और करीब खींच रहा था।


धीरे-धीरे बातें करते हुए माहौल इतना बदल गया कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने एक हाथ से लैंड निकाला और धीरे-धीरे सहलाने लगा। वो हल्के से मुस्कराई और बोली मैं कुछ नहीं करूँगी फिर

लेकिन उसकी आँखों में वही शरारत थी, जैसे मुझे और छेड़ना चाह रही हो।


मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लैंड पर रख दिया।

उसने थोड़ी देर तक मुझे देखा, फिर बिना कुछ कहे धीरे-धीरे लैंड हिलाने लगी।

उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरे जिस्म में बिजली सा दौड़ा रहा था।


मैं लेट गया और उसने पास आकर रफ़्तार तेज़ कर दी।

मेरी आँखों से इशारा समझकर वो झटके से झुकी और अगले ही पल मेरा लैंड मुमें ले लिया।

मैने बिना कुछ सोचे एकदम से अपनी दो उंगलियां उसकी चूत के अन्दर डाल दीं.

उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- आहह … आहह आहह.

मैने उसको को बेड पर लिटा दिया वो बिल्कुल नंगी बेड पर लेटी हुई थी और सेक्स के लिए तड़प रही थी 


अब म इसकी चूत के पास आया, उसकी टांगों को किस करने लगा, उसके चूतड़ों को दबाने लगा। 


अब तक मेरा लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया था. उसकी चूत भी लैंड लेने के लिए बिल्कुल तैयार थी।


वह बोली अब मुझे और मत तड़पाओ प्लीज़ मेरे साथ सेक्स करो ना!


अब में और वो मिशनरी पोजीशन में आ गए थे.


मैंने अपने लंड को चूत के ऊपर सैट कर दिया और धीरे धीरे अन्दर डालने लगा। लंड का ऊपरी सिरा चूत में चला गया. उसके के मुँह से ‘आह निकल गई।


तभी मैंने एक और जोरदार धक्का दे मारा जिससे उसका मेरा लंड चूत में समा गया। इससे उसको बहुत ज्यादा दर्द हुआ क्योंकि उसने बहुत लंबे समय से सेक्स नहीं किया था.


दर्द की वजह से उसके मुँह से चीख निकल गई आहह हहह मर गई माँ! उसकी आंखों में आंसू आ गए.


वह इतनी जोर से चीख उठी थी कि मैंने डर से लैंड बाहर निकल लिया फिर मैंने थोड़ी देर चूत पे लैंड रगड़ा तो।उसने वापस लैंड डालने का इशारा किया मैं समझ गया था कि दर्द के साथ इसको मजा भी आ रहा है। 

उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे और मुँह से चीखें निकल रही थीं 

आहह आह हहह मर गई माँ आहह हह साले कुत्ते धीरे चोद मुझे आज चोद-चोद कर ही मार डालेगा क्या

आहहहह माँ बचाओ मुझे इस कसाई से आह

Office girl sex story

 लैंड की प्यासी.  https://www.youtube.com/@Gllow_Up_English

दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में काम करता था मैं। सब मुझे मेहनती और प्रोफेशनल मानते थे, लेकिन मेरे लिए ऑफिस की सबसे बड़ी वजह थी रिया।


रिया नई थी, पर उसकी मुस्कान पूरे माहौल को बदल देती थी। हमारी बातें हमेशा काम तक ही सीमित रहतीं, लेकिन नज़रों का खेल कुछ और ही कहानी कह रहा था।

एक शाम ऑफिस खाली था। बाहर बारिश हो रही थी और हम दोनों ही बचे थे।

रिया खिड़की से बाहर देखते हुए बोली इतना सन्नाटा कभी-कभी अच्छा लगता है।

मैंने हल्की मुस्कान दी हाँ, लेकिन खामोशी बहुत कुछ कह देती है।”

हमारी नज़रें टकराईं, और उस पल में अजीब-सी गर्माहट थी। कॉफी मशीन तक जाते हुए हमारे हाथ टकराए। रिया मुस्कुरा दी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही छुपा था। 


अचानक उसने सीधे कहा तुम मुझे अनदेखा क्यों करते हो? तुम्हें पता भी है, मैं यहाँ सिर्फ तुम्हारे लिए रुकी हूँ।”


मेरे पास जवाब नहीं था। उसके होंठ काँप रहे थे, आँखों में नमी थी। मैंने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन में समझ गया था कि ये एक नंबर की चुदकड़ है।


कुछ देर बाद, चुप्पी तोड़ते हुए उसने फुसफुसाया 

आज मेरे साथ घर चलो तुम्हें बहुत कुछ बताना है।

उस रात बारिश थमी ही नहीं थी। ऑफिस से निकलकर मैं रिया के साथ उसकी कार में बैठा। रास्ते भर उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा, बस खामोश निगाहों से मुझे देखती रही।


कुछ देर बाद हम उसके घर पहुँचे। घर अंदर से बेहद सजा हुआ था, लेकिन अजीब तरह की खामोशी थी। रिया ने दरवाज़ा बंद किया और सीधे मेरी तरफ मुड़कर बोली तुम जानते हो ना मैं तुम्हें क्यों यहाँ लाई हूँ

मैं चौंक गया। जवाब देने ही वाला था कि उसने मेरी आँखों में झाँकते हुए धीरे से कहा क्योंकि मैं तुम्हें पसंद करती हूँ।


उसकी आवाज़ में सच्चाई थी, मगर एक अजीब-सी घबराहट भी छिपी थी। उसने कहा, तुम हाथ-मुंह धो लो, मैं खाना लगाती हूँ। 

खाना खाने के बाद रिया धीमे स्वर में बोली आज तुम मेरे साथ ही बेडरूम में सो जाना। 

मैं मना करना चाहता था, मगर जाने क्यों जुबान साथ नहीं दे पाई।

बेडरूम की हल्की रोशनी में हम दोनों लेट गए  और तभी रिया धीरे-धीरे मेरे पास आई और उसने मेरा हाथ कसकर पकड़ा और धीरे से मेरे सीने पर सिर रख दिया।

कमरे में सिर्फ हमारी सांसों की आवाज़ गूंज रही थी।


उसने अचानक मेरे लैंड पर पैर रखा। मेरा शक अब पक्का हो चुका था कि ये चुदकड़ है। उसकी आँखें मेरे चेहरे पर टिकी थीं, जैसे कोई छुपा राज़ बताना चाहती हो।


मैंने उसका हाथ थामा उसकी उँगलियाँ काँप रही थीं। माहौल एकदम खामोश था, बस हमारी तेज़ साँसें सुनाई दे रही थीं।


वो धीरे-धीरे मेरे पास आई और अगले ही पल उसके होंठ मेरे होंठों से टकरा गए।

पहले हल्का-सा स्पर्श, फिर उसने कसकर मुझे चूम लिया।

मैने सोच लिया था कि आज इसकी चुदाने की भूख मिटाके ही जाऊंगा । मने उसको एक दम जोर से चूमा और उसको कुछ करने का मौका नहीं दिया मैने पेंट खोली और उसके मुमें लैंड डाल दिया । मैने कहा शाली रंडी पहले ही बता देती की चूदना चाहती है । उसने पूरे मजे से लैंड चूसना शुरू कर दिया । मने उसकी पेंटी में हाथ दिया और चूत में उंगली करने लगा । सब कुछ इतनी जल्दी हो रहा था कि विश्वास ही नहीं हो रहा था। 

म उसको गली दे रहा था । रंडी साली चुदकड़।

मैने उसके कपड़े उतरे और उसने मेरे कपड़े उतार दिए।

और वो अब ब्रा पैंटी क्या सेक्सी लग रही थी ।

म उसकी चूत चाटने लगा । और वो सिसकारियां निकल रही थी। म बोल रहा था चूदने की भूख थी ना आज सारी मेट दूंगा । वो अब गरम हो चुकी थी तो मैने उसको घोड़ी बनाया और गांड में लैंड डाल दिया । पर मैने थोड़ा जोर लगा दिया तो वो उछल पड़ी और लैंड निकल दिया ।

उसने मना कर दिया कि पीछे नहीं डलवाएगी। मुझे गुस्सा आगया कि इतनी भूखी है और पीछे से मना कर रही है तो मने बेड पर पटका और खुद बेड के पास खड़ा होके चूत में जोर से लैंड डाला और उसके मुंह को पकड़ लिया कि वो अब चलाए नहीं। उसको मने उस रात ऐसा चोदा कि अब वो चुदाने के नाम भी नहीं लेगी दोस्तो लड़की को ऐसे चोदो कि वो पूरी जिंदगी याद रखे कि चुदवाऊंगी तो उसी से।


शनिवार, 16 अगस्त 2025

पड़ोसन भाभी की चुदाई

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 बरसात की हल्की बूँदें पूरे शहर को भिगो रही थीं। रात के इस सन्नाटे में बस खिड़की से गिरती बूँदों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। 


भाभी सविता बालकनी में खड़ी बारिश का आनंद ले रही थीं। उनके गीले बाल कंधों पर चिपक गए थे, और हवा में उनका आँचल लहराने लगा। तभी उनको मैने देखा वो जस्ट हमारे सामने वाले मकान में किराए से रहती थी 


मेरी उनसे बातचीत शुरू होने लगी थी  मैं उनसे बाते करता था तो मुझे बहुत अच्छा लगता था और टाइम का पता भी नहीं चलता था 

मैंने उनको आवाज दी

भाभी इतनी रात को भीग जाओगी तो सर्दी लग जाएगी 

सविता भाभी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, मुझे बारिश बहुत पसंद है, इसमें भीगने का अनुभव ही अलग है।


दोनों हँस पड़े। उस हँसी में एक अद्भुत जुड़ाव था, हमारी आँखें एक-दूसरे से टकराईं और वो पल कुछ खास बन गया, मानो समय थम गया हो।


सविता भाभी कुछ क्षणों तक मुझे देखने में खोई रहीं, फिर एक हल्की मुस्कान के साथ अंदर चली गईं।

एक दिन भाभी घर पर अकेली थी शाम को तो भाभी ने मुझे कहा तुम्हारे भैया की बाइक अंदर खड़ी कर दो तो मने बाइक अंदर खड़ी की और चबी भाभी को देदी हमारी  उँगलियाँ एक-दूसरे से छू गईं। दोनों ने नज़रें झुका लीं, लेकिन उस छुअन की गर्माहट लंबे समय तक हमारे  मन में बनी रही।

फिर एक दिन भैया किसी काम से बाहर गए हुए थे  तो म भाभी के घर किसी काम से गया था मेरा उनके घर आना जाना होता था

भाभी किचेन में अकेली थी । मैं भाभी को अकेला देख किचेन में चला गया फिर मेंने और भाभी ने खूब बाते की बातों ही बातों में भाभी ने मुझसे पूछ लिया किया तुम्हे कोई लड़की पसंद है क्या मैंने मौके का फायदा उठा के कहा भाभी आपके जैसे फिगर वाली कोई मिले तब ना भाभी शर्मा गई और नीचे नजर झुका ली

सच में दोस्तों भाभी का फिगर कमाल का था 

उनकी हाइट लगभग 5 फुट 6 इंच थी, भरा हुआ शरीर, गोरा रंग और लंबे बाल. भाभी का फिगर देख मेरा लैंड खड़ा हो जाता था । भाभी काफी हंसमुख स्वभाव की थी

भाभी ने बताया कि उनके पति करना में ही चल बसे थे। 

इसी वजह से उन्हें कभी बाजार से सामान लाने आदि में दिक्कत होती है मैने कहा भाभी तो आप मुझे बोल दिया करो में कर दूंगा मने कहा भाभी आप मेरे नंबर लेलो आपको जो भी काम हो आप मुझे बता दिया करो ।

रात में मने भाभी को हाय भेज दिया और उनका मेसेज भी तुरंत ही आगया।

फिर उसके बाद हमारे बाते मोबाइल पे शुरू होने लगी ।

मने कहा उस दिन मने आपसे किचेन में इस तरह बात की उसके लिए सॉरी उन्होंने कहा कोई बात नहीं ।

फिर मैंने कहा- आपका मन नहीं लगता होगा भैया के जाने  के बाद?

उन्होंने उदास होकर जवाब दिया- मन का क्या है, उसे तो लगाना पड़ता है.

मैंने पूछा- दिन तो काम में निकल जाता होगा, लेकिन रात कैसे काटती हो?

उन्होंने कहा- फैमली में किसी से बात कर लेती हु या मूवीज देखकर!


यह सुनकर मैंने हिम्मत जुटाई और उनसे पूछा- क्या हम दोस्त बन सकते हैं?

उनके जवाब ने मुझे चौंका दिया- उनका जवाब आया हम तो दोस्त ही है 


मैंने मजाक में कहा- क्या मैं अपनी इस दोस्त को एक फ्रेंडली किस दे सकता हूँ उनका आगे से कोई रिप्लाई नहीं आया तो मुझे लगा उनको इस बात का बुरा लग गया और न सो गया 

अगले दिन सुबह उठा तो भाभी के 3 फोन आए हुए थे ।

मने भाभी को वापस कॉल किया तो उन्होंने मुझे चाय के लिए बुला लिया तो में चाय पीने उनके घर गया ।

भाभी चाय लेकर आई और मेरे सामने सोफे पे बैठ गई । मैने कहा भाभी रात को जो मने बोला उसके लिए सॉरी मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था । भाभी फिरसे कुछ नहीं बोली और चाय के कप उठा कर बोली किस करनी है तो कर लेना पूछ क्या रहे हो । इतना बोलके भाभी किचिन की तरफ चली गई पीछे से भाभी का फिगर देख मेरा लैंड खड़ा हो गया । और में भाभी के पीछे किचेन में चला गया और पीछे से जाके उनको कस के पकड़ लिया मने भाभी को घुमाया और मेरे होठ उनके होठ से टकरा गए । इसके बाद हमने फिर से किस किया और मेरा एक हाथ भाभी के बूब्स पर चला गया और मैं ब्रा के ऊपर से दूध दबाने लगा.

मैने भाभी का हाथ पकड़ा और और अपना लैंड भाभी के हाथ में रख दिया भाभी लैंड को अपने मुलायम हाथों से हिलाने लगी । मुझे इस बात से समझ आ गया था कि भाभी राजी हैं।

मने भाभी की पेंटी में हाथ डाला और भाभी की चूत में उंगली करने लगा भाभी गरम हो गई थी ।

मैंने भाभी को घुटनों पर बैठने का इशारा किया और चेन खोलकर लंड बाहर निकाला भाभी ने लैंड पकड़ा और झट से मुंह में डाल लिया । भाभी को मुमें लेने का पूरा अनुभव था ।

करीब 10 मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने भाभी को खड़ा किया और उनको उल्टा घुमा के चूतड़ों के बीच लैंड आगे पीछे करने लगा।

फिर मैंने उन्हें अपनी गोदी में उठा कर उनको बेडरूम में ले गया.

हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए भाभी ब्रा पैंटी में क्या लग रही थी उनके बूब्स देख के म खुद को रोक नहीं पाया और ब्रा ऊपर करके बूब्स चूसने लगा ।

भाभी भी मेरे 6 इंच के लैंड को छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी भाभी हिला रही थी ।

भाभी आह आह करके सिसकारती निकल रही थी - आह चूस लो मेरी जान आह आज बहुत दिनों से प्यासी हु चोद दो । मैंने जल्दी से उनकी चुत का रुख किया और टांगों को फैला कर चुत पर जीभ लगा दी भाभी की चुत गर्म हो गई और वे मेरे सर को अपनी टांगों में दबा कर मुझे चुत से रगड़ने लगीं कुछ देर बाद मैंने चुत से सर हटके कहा अब आपकी प्यास बुझा दी जाए।

भाभी ने मुस्कुरा के कहा अब तो बुझती ही रहेगी।

अब धकापेल चुदाई शुरू हो गई 10 मिनट के बाद मेरा माल निकलने हो गया और मैंने भाभी की चूत में अपना सारा माल गिरा दिया. अपना माल भूमिका चूत में भरने के बाद मैं भी उसके ऊपर ही लेता रहा ।



अब हम हफ्ते में दो दिन बार सेक्स करते है




शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

गर्लफ्रेंड बॉयफ़्रेंड की चुदाई की कहानी

 कहानी की शुरुआत एक ठंडी और भीगी शाम से होती है।

शहर में पूरे दिन से बारिश हो रही थी। काले बादलों के बीच से आती हल्की ठंडी हवा खिड़की के पर्दों को हिला रही थी।

सविता  नीली साड़ी में खिड़की के पास खड़ी थी। उसके गीले बाल उसकी पीठ से चिपके हुए थे और पल्लू हवा में लहरा रहा था।

सविता अपना ब्लाउज सही कर रही थी तभी दरवाज़ा खुला और चिंटू अंदर आया। उसने मुस्कुराते हुए कहा – "तुम आज बेहद खूबसूरत लग रही हो, सविता।"ये सुनकर सविता हल्का-सा शरमा गई चिंटू ने उसके करीब आकर हाथ थामा और बोला लाओ में तुम्हारा ब्लाउज ठीक कर देता हूं

बारिश की बूंदें अब खिड़की के शीशे पर तेज़ी से टकरा रही थीं। कमरे में हल्की-सी खुशबू फैली थी, शायद सविता के गीले बालों से आती हुई। चिंटू ने उसका हाथ थामते हुए धीरे-से पल्लू हटाया और कहा  तुम्हें पता है, सविता… कुछ बातें मैंने आज तक तुमसे नहीं कही।सविता ने सवालिया नज़रों से उसकी तरफ़ देखा। कैसी बातें?” उसकी आवाज़ में हल्का-सा कंपन था।

उसके करीब आकर हाथ थामा और बोला में तुम्हे की अब अपने रिलेशन को इतना टाइम हो गया है और अब हम दोनों बच्चे भी नहीं रहे 

सविता तुम सीधा बोलो कहना क्या चाहते हो 

चिंटू यही की दोनों घर में अकेले है और दोनों एक दूसरे को पसंद भी करते है तो क्यों ना आज इस अकेलेपन को यादगार लम्हा बना दे

सविता तुम कह रहे हो वो म समझ रही हू पर अभी ये शाही टाइम नहीं है इन सब चीजों का

चिंटू यही म वही कहना चाहता हु जो तुम समझ रही हो

सविता नहीं चिंटू अभी ये इन सब चीजों का सही टाइम नहीं है 

चिंटू सविता के पास आया और सविता के बालों को सुधरने लगा और बोला आज तुम सच में लाजवाब लग रही हो जान

सविता नजरें झुका के म चाय लेके आती हु तुम कमरे में चलो 

चिंटू ठीक है म कमरे में तुम्हारा इंतजार कर रहा हु 

सविता चाय लेके कमरे में आई चिंटू ने सविता को पकड़ा और kiss करने लगा किस करते करते धीरे-धीरे चिंटू का हाथ उसकी कमर पर चला गया.उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई   धीरे-धीरे अपने हाथ को रिया की जांघ की ओर बढ़ाया और उस पर हाथ फेरने लगा 

मने सविता का ब्लवाज खोला और ममे दबने लगा सविता को देख के लग रहा था जैसे कि वो चाहती है कि मेरे हाथ रुकने नहीं चाहिए 

तभी मने सविता साड़ी उतारना शुरू कर दी सविता के ममे एक दम टाइट हो रहे थे म समझ गया था कि वो गरम हो रही है मने कविता की साड़ी उतारी अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी मने पेंटी में हाथ दिया और सविता की गर्म चूत को सहलाने अब वह और भी गर्म होने लगी लेकिन उसने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया.बल्कि उसने अपनी आंखें बंद कर लीं

सविता कुछ नहीं बोल रही थी ये देख कर मैंने अपने होंठ उसके होंठों के पास ले जाकर रख दिए.सविता पहले से ही गर्म थी तो उसे यह अच्छा लग रहा था.

उसने सामने से मेरे होठ को चूमना शुरू कर दिया अब मुझे ग्रीन सिगनल मिल गया था तो मने सविता के। पूरे बदन को चूमना शुरू किया सविता गरम हो गई थी 

वह जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी अब उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी.वह चुदाई के मूड में आ गई थी. 

मने रिया की चूत में उंगली दी और अंदर बाहर करने लगा सविता मुझसे चिपक गई और उसकी सांसे बहुत तेज हो गई

सविता ने  मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी.

मैं बड़ी बेताबी से उसके पेट पर किस करने लगा

फिर मने सविता को उल्टा लेटाया और उसकी पेंटी उतरी और उसके चूतड़ों पे लैंड रगड़ने लगा हम दोनों पूरे नंगे और मेरा लैंड उसके चूतड़ों पे टच होने से जो फिलिंग आ रही थी शब्दों में बया नहीं हो सकती 

फिर सविता  बोली अब ज्यादा सबर मत कराओ 

अब मैं सविता  की चूत चाटने लगा और रिया मेरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी.

तो मैंने सविता को बेड पर पटक दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच जाकर उसके पैरों को अपने कंधों पर रख लिया. मैंने अपने लंड को सविता की चूत पर रगड़ना शुरू किया. उसकी चूत लंड लेने के लिए मचलने लगी थी.सविता बोलने लगी- अब मत तड़पाओ. अपने लंड को मेरी चूत में डाल दो. मैंने धीरे से लंड के सुपारे को रिया की चूत पर सैट किया और उसे चुंबन करने लगा.

जैसे ही रिया सहज हुई, मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसाने के लिए दबा दिया. मेरी दाब तेज थी तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया

जिस से वह एक दम से चिल्लाई तो मने उसके होठ मेरे होठ से दबा लिए और लैंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा 

कुछ 20 मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मने लैंड बाहर निकल के सविता के मेमो पे अपना माल निकला और हम दोनों एक दूसरे के ऊपर ही सो गए 



(PART 1) मकान मालकिन की भतीजी, "रिया"

 उस रात बारिश बहुत तेज़ हो रही थी। हवा में नमी और मौसम में एक अजीब सी खामोशी थी। मैं ऑफिस से देर रात लौटा था, पूरे दिन की थकान और सिर में हल...